फूल के लायक़ फ़ज़ा रखनी ही थी
फूल के लायक़ फ़ज़ा रखनी ही थी
डर हवा से था हवा रखनी ही थी
गो मिज़ाजन हम जुदा थे ख़ल्क़ से
साथ में ख़ल्क़-ए-ख़ुदा रखनी ही थी
यूँ तो दिल था घर फ़क़त अल्लाह का
बुत जो पाले थे तो जा रखनी ही थी
तर्क करनी थी हर इक रस्म-ए-जहाँ
हाँ मगर रस्म-ए-वफ़ा रखनी ही थी
सिर्फ़ काबे पर न थी हुज्जत तमाम
बाद-ए-काबा कर्बला रखनी ही थी
(1216) Peoples Rate This