लगे है आसमाँ जैसा नहीं है

लगे है आसमाँ जैसा नहीं है

नज़र आता है जो होता नहीं है

तुम अपने अक्स में क्या देखते हो

तुम्हारा अक्स भी तुम सा नहीं है

मिले जब तुम तो ये एहसास जागा

अब आगे का सफ़र तन्हा नहीं है

बहुत सोचा है हम ने ज़िंदगी पर

मगर लगता है कुछ सोचा नहीं है

यही जाना है हम ने कुछ न जाना

यही समझा है कुछ समझा नहीं है

यक़ीं का दाएरा देखा है किस ने

गुमाँ के दाएरे में क्या नहीं है

यहाँ तो सिलसिले ही सिलसिले हैं

कोई भी वाक़िआ तन्हा नहीं है

बंधे हैं काएनाती बंधनों में

कोई बंधन मगर दिखता नहीं है

हो किस निस्बत से तुम 'जावेद' साहब

न होना तो है याँ होना नहीं है

(1244) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Lage Hai Aasman Jaisa Nahin Hai In Hindi By Famous Poet Abdullah Javed. Lage Hai Aasman Jaisa Nahin Hai is written by Abdullah Javed. Complete Poem Lage Hai Aasman Jaisa Nahin Hai in Hindi by Abdullah Javed. Download free Lage Hai Aasman Jaisa Nahin Hai Poem for Youth in PDF. Lage Hai Aasman Jaisa Nahin Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Lage Hai Aasman Jaisa Nahin Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.