Heart Broken Poetry of Abdullah Javed
नाम | अब्दुल्लाह जावेद |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdullah Javed |
सजाते हो बदन बेकार 'जावेद'
फिर नई हिजरत कोई दरपेश है
याद यूँ होश गँवा बैठी है
समुंदर पार आ बैठे मगर क्या
फूल के लायक़ फ़ज़ा रखनी ही थी
नंगे पाँव की आहट थी या नर्म हवा का झोंका था
मैं तेरी ही आवाज़ हूँ और गूँज रहा हूँ
लगे है आसमाँ जैसा नहीं है
कभी प्यारा कोई मंज़र लगेगा
जो गुज़रता है गुज़र जाए जी
जानिब-ए-दर देखना अच्छा नहीं
हर लम्हा मर्ग-ओ-ज़ीस्त में पैकार देखना
चाँदनी का रक़्स दरिया पर नहीं देखा गया
अश्क ढलते नहीं देखे जाते