Ghazals of Abdullah Javed
नाम | अब्दुल्लाह जावेद |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdullah Javed |
याद यूँ होश गँवा बैठी है
समुंदर पार आ बैठे मगर क्या
रूह को क़ालिब के अंदर जानना मुश्किल हुआ
फूल के लायक़ फ़ज़ा रखनी ही थी
नंगे पाँव की आहट थी या नर्म हवा का झोंका था
मैं तेरी ही आवाज़ हूँ और गूँज रहा हूँ
लगे है आसमाँ जैसा नहीं है
कोई रिश्ता न हो फिर भी रिश्ते बहुत
कभी प्यारा कोई मंज़र लगेगा
जो गुज़रता है गुज़र जाए जी
जानिब-ए-दर देखना अच्छा नहीं
हम क्या कहें कि आबला-पाई से क्या मिला
हर लम्हा मर्ग-ओ-ज़ीस्त में पैकार देखना
इक सैल-ए-बे-पनाह की सूरत रवाँ है वक़्त
दुनिया ने जब डराया तो डरने में लग गया
चाँदनी रात में हर दर्द सँवर जाता है
चाँदनी का रक़्स दरिया पर नहीं देखा गया
चमका जो चाँद रात का चेहरा निखर गया
अश्क ढलते नहीं देखे जाते