Khawab Poetry of Abdullah Javed
नाम | अब्दुल्लाह जावेद |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdullah Javed |
फिर नई हिजरत कोई दरपेश है
देखते हम भी हैं कुछ ख़्वाब मगर हाए रे दिल
कोई रिश्ता न हो फिर भी रिश्ते बहुत
जानिब-ए-दर देखना अच्छा नहीं
हम क्या कहें कि आबला-पाई से क्या मिला
चाँदनी रात में हर दर्द सँवर जाता है
चमका जो चाँद रात का चेहरा निखर गया
अश्क ढलते नहीं देखे जाते