नहीं पस्तियों में बुलंदियों से मैं अपने आप ही आ गया
नहीं पस्तियों में बुलंदियों से मैं अपने आप ही आ गया
मिरा दिल जहाँ पे था मुतमइन वो वहाँ से मुझ को गिरा गया
ये दिलासा है कि मज़ाक़ सा मुझे दिल ही दिल में हँसा गया
मिरी आँख अश्क से तर थी जब मुझे आइना वो दिखा गया
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