तुझ क़द की अदा सर्व-ए-गुलिस्ताँ सीं कहूँगा
तुझ क़द की अदा सर्व-ए-गुलिस्ताँ सीं कहूँगा
जादू-ए-नयन नर्गिस-ए-बुस्ताँ सीं कहूँगा
देखा हूँ तिरे लब पे मैं मिस्सी की धड़ी कूँ
ज़ुल्मात पे जा चश्मा-ए-हैवाँ सीं कहूँगा
मुझ दिल की लगन तुझ सीं है ऐ ख़ूबी-ए-महफ़िल
परवाना नमन शम-ए-शबिस्ताँ सीं कहूँगा
पैदा किया तुझ शौक़ में दिल वुसअत-ए-मशरब
यूँ हालत-ए-दिल कोह-ओ-बयाबाँ सीं कहूँगा
देखा हूँ तुझे ख़्वाब मुनीं ऐ परी-पैकर
इस ख़्वाब के तईं जा के सुलैमाँ सीं कहूँगा
ख़ंजर सीं नयन के दिल-ए-'यकरू' हुआ ज़ख़्मी
अब दिल की तपिश ख़ाक-ए-शहीदाँ सीं कहूँगा
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