अगर नहीं क़स्द ऐ ज़ालिम मिरे दिल के सताने का
अगर नहीं क़स्द ऐ ज़ालिम मिरे दिल के सताने का
सबब क्या है तुझे मुझ से नमाने से बहाने का
हुई मुद्दत नहीं ताक़त मिरे दिल कूँ जुदाई की
करम कर आ सजन या फ़िक्र कर मेरे बुलाने का
शह-ए-ख़ूबाँ मिरे घर रात को आया है ऐ मुतरिब
मिरा दिल शाद है गा राग ऐ मुतरिब शहाने का
न होवे क्यूँ के गर्दूं पे सदा दिल की बुलंद एती
हमारी आह है डंका दमामे के बजाने का
जभी हो वस्ल हाँसी सीं हिसार-ए-पैरहन तब
तिरा 'यकरू' सुनामी है नहीं हरगिज़ समाने का
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