नए हैं वस्ल के मौसम मोहब्बतें भी नई

नए हैं वस्ल के मौसम मोहब्बतें भी नई

नए रक़ीब हैं अब के अदावतें भी नई

जवाँ दिलों में पनपते हैं अब नए रूमान

हसीन चेहरों पे लिक्खी इबारतें भी नई

वो मुझ को छू के पशेमाँ है अजनबी की तरह

अदाएँ उस की अछूती शरारतें भी नई

वो जिस ने सर में दिया इंक़लाब का सौदा

मिरे लहू को वो बख़्शे हरारतें भी नई

ख़ुशी में हंस नहीं सकते ये ग़म कि ग़म भी नहीं

हमारे कर्ब अनोखे अज़िय्यतें भी नई

नई रविश नए इम्काँ निराला तर्ज़-ए-'सुख़न'

हमारे लफ़्ज़ों से रौशन बशारतें भी नई

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