Sharab Poetry of Abdul Rahman Ehsan Dehlvi
नाम | अब्दुल रहमान एहसान देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Rahman Ehsan Dehlvi |
मोहतसिब भी पी के मय लोटे है मयख़ाने में आज
मय-कदे में इश्क़ के कुछ सरसरी जाना नहीं
क्यूँकर न मय पियूँ मैं क़ुरआँ को देख ज़ाहिद
फिर आया जाम-ब-कफ़ गुल-एज़ार ऐ वाइज़
नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा
क्यूँ ख़फ़ा तू है क्या कहा मैं ने
दोश-ब-दोश दोश था मुझ से बुत-ए-करिश्मा-कोश
बाग़ में जब कि वो दिल ख़ूँ-कुन-ए-हर-गुल पहुँचे