Sad Poetry of Abdul Rahman Ehsan Dehlvi
नाम | अब्दुल रहमान एहसान देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Rahman Ehsan Dehlvi |
याद तो हक़ की तुझे याद है पर याद रहे
उल्फ़त में तेरा रोना 'एहसाँ' बहुत बजा है
किस को उस का ग़म हो जिस दम ग़म से वो ज़ारी करे
गले से लगते ही जितने गिले थे भूल गए
गले से लगते ही जितने गिले थे भूल गए
एक बोसे से मुराद-ए-दिल-ए-नाशाद तो दो
चश्म-ए-मस्त उस की याद आने लगी
ज़ात उस की कोई अजब शय है
फिर आया जाम-ब-कफ़ गुल-एज़ार ऐ वाइज़
नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा
नहीं सुनता नहीं आता नहीं बस मेरा चलता है
न अदा मुझ से हुआ उस सितम-ईजाद का हक़
मरते दम नाम तिरा लब के जो आ जाए क़रीब
महफ़िल इश्क़ में जो यार उठे और बैठे
क्यूँ ख़फ़ा तू है क्या कहा मैं ने
ख़फ़ा मत हो मुझ को ठिकाने बहुत हैं
हर आन जल्वा नई आन से है आने का
ग़म याँ तो बिका हुआ खड़ा है
ग़ैर के दिल पे तू ऐ यार ये क्या बाँधे है
दोश-ब-दोश दोश था मुझ से बुत-ए-करिश्मा-कोश
दिल तो हाज़िर है अगर कीजिए फिर नाज़ से रम्ज़
बाग़ में जब कि वो दिल ख़ूँ-कुन-ए-हर-गुल पहुँचे
आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है