Hope Poetry of Abdul Rahman Ehsan Dehlvi
नाम | अब्दुल रहमान एहसान देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Rahman Ehsan Dehlvi |
ब-वक़्त-ए-बोसा-ए-लब काश ये दिल कामराँ होता
अँधेरी रात को मैं रोज़-ए-इश्क़ समझा था
तुम्हारी चश्म ने मुझ सा न पाया
फिर आया जाम-ब-कफ़ गुल-एज़ार ऐ वाइज़
नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा
नहीं सुनता नहीं आता नहीं बस मेरा चलता है
कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा
जान अपनी चली जाए हे जाए से कसू की
बाग़ में जब कि वो दिल ख़ूँ-कुन-ए-हर-गुल पहुँचे