Friendship Poetry of Abdul Rahman Ehsan Dehlvi
नाम | अब्दुल रहमान एहसान देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Rahman Ehsan Dehlvi |
यारा है कहाँ इतना कि उस यार को यारो
याद तो हक़ की तुझे याद है पर याद रहे
अनार-ए-ख़ुल्द को तू रख कि मैं पसंद नहीं
ज़ात उस की कोई अजब शय है
तुम्हारी चश्म ने मुझ सा न पाया
तीर पहलू में नहीं ऐ रुफ़क़ा-ए-पर्वाज़
फिर आया जाम-ब-कफ़ गुल-एज़ार ऐ वाइज़
नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा
न अदा मुझ से हुआ उस सितम-ईजाद का हक़
मरते दम नाम तिरा लब के जो आ जाए क़रीब
महफ़िल इश्क़ में जो यार उठे और बैठे
कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा
जान अपनी चली जाए हे जाए से कसू की
ग़ैर के दिल पे तू ऐ यार ये क्या बाँधे है
दिल तो हाज़िर है अगर कीजिए फिर नाज़ से रम्ज़
आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है