Sad Poetry of Abdul Mateen Niyaz
नाम | अब्दुल मतीन नियाज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Mateen Niyaz |
मैं शब-ए-हिज्र क्या करूँ तन्हा
कैसे रखेंगे सर पे किसी का उधार हम
इंतिशार-ओ-ख़ौफ़ हर इक सर में है
हिज्र में गुज़री है उस रात की बातें न करो
ग़म-ए-हयात ग़म-ए-दिल निशात-ए-जाँ गुज़रा
दामन की फ़िक्र है न गरेबाँ की फ़िक्र है
अपने वहम-ओ-गुमान से निकला