Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_50f08e7e8b4d516f8ede66b83e26386c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हम-नफ़सो उजड़ गईं मेहर-ओ-वफ़ा की बस्तियाँ - अब्दुल मजीद सालिक कविता - Darsaal

हम-नफ़सो उजड़ गईं मेहर-ओ-वफ़ा की बस्तियाँ

हम-नफ़सो उजड़ गईं मेहर-ओ-वफ़ा की बस्तियाँ

पूछ रहे हैं अहल-ए-मेहर-ओ-वफ़ा को क्या हुआ

इश्क़ है बे-गुज़ार क्यूँ हुस्न है बे-नियाज़ क्यूँ

मेरी वफ़ा कहाँ गई उन की जफ़ा को क्या हुआ

ये तो बजा कि अब वो कैफ़ जाम-ए-शराब में नहीं

साक़ी-ए-मय के ग़म्ज़ा-ए-होश-रुबा को क्या हुआ

अब नहीं जन्नत मशाम-ए-कूचा-ए-यार की शमीम

निकहत-ए-ज़ुल्फ़ क्या हुई बाद-ए-सबा को क्या हुआ

थम गया दौरा-ए-हयात रुक गई नब्ज़-ए-काएनात

इश्क़-ओ-जुनूँ की गर्मी-ए-हमहमा-ज़ा को क्या हुआ

दश्त-ए-जुनूँ में हो गई मंज़िल-ए-यार बे-सुराग़

क़ाफ़िला किस तरफ़ गया बाँग-ए-दरा को क्या हुआ

नाला-ए-शब है ना-रसा आह-ए-सहर है बे-असर

मेरा ख़ुदा कहाँ गया मेरे ख़ुदा को क्या हुआ

(1499) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ham-nafaso UjaD Gain Mehr-o-wafa Ki Bastiyan In Hindi By Famous Poet Abdul Majeed Salik. Ham-nafaso UjaD Gain Mehr-o-wafa Ki Bastiyan is written by Abdul Majeed Salik. Complete Poem Ham-nafaso UjaD Gain Mehr-o-wafa Ki Bastiyan in Hindi by Abdul Majeed Salik. Download free Ham-nafaso UjaD Gain Mehr-o-wafa Ki Bastiyan Poem for Youth in PDF. Ham-nafaso UjaD Gain Mehr-o-wafa Ki Bastiyan is a Poem on Inspiration for young students. Share Ham-nafaso UjaD Gain Mehr-o-wafa Ki Bastiyan with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.