Qitas of Abdul Hamid Adam
नाम | अब्दुल हमीद अदम |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Hamid Adam |
जन्म की तारीख | 1910 |
मौत की तिथि | 1981 |
ज़ुल्मतों को शराब-ख़ाने से
ज़ीस्त दामन छुड़ाए जाती है
ज़िंदगी की दराज़ पलकों पर
ज़िंदगी है कि इक हसीन सज़ा
ज़िंदगी इक फ़रेब-ए-पैहम है
ज़ौक़-ए-परवाज़ अगर रहे ग़ालिब
ये वो फ़ज़ा है जहाँ फ़र्क़-ए-सुब्ह-ओ-शाम नहीं
वस्ल की शब है और सीने में
उरूस-ए-सुब्ह ने ली है मचल के अंगड़ाई
तुम्हारे हुस्न को मेरी नज़र लगी है ज़रूर
तीरगी के घने हिजाबों में
सूरत के आइने में दिल-ए-पाएमाल देख
सो रही है गुलों के बिस्तर पर
शिकन न डाल जबीं पर शराब देते हुए
शाम है और पार नद्दी के
साहिल पे इक थके हुए जोगी की बंसरी
रूह को एक आह का हक़ है
पर लगा कर उड़ेगा नाम तिरा
नाख़ुदा किस लिए परेशाँ है
न ख़ुदा है न नाख़ुदा साथी
मुफ़लिसों को अमीर कहते हैं
मिरे दिल की उदास वादी में
मायूस हो गई है दुआ भी जबीन भी
मौत का सर्द हाथ भी साक़ी
मरमरीं मरक़दों पे वक़्त-ए-सहर
मैं रास्ते का बोझ हूँ मेरा न कर ख़याल
माह-ओ-अंजुम के सर्द होंटों पर
कितनी सदियों से अज़्मत-ए-आदम
ख़ू-ए-लैल-ओ-नहार देखी है
ख़राबात-ए-मंज़िल गह-ए-कहकशाँ है