Love Poetry of Abdul Hamid Adam
नाम | अब्दुल हमीद अदम |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Abdul Hamid Adam |
जन्म की तारीख | 1910 |
मौत की तिथि | 1981 |
ज़िंदगी ज़ोर है रवानी का
ज़िंदगी है इक किराए की ख़ुशी
वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम
वही शय मक़सद-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र महसूस होती है
थोड़ी सी अक़्ल लाए थे हम भी मगर 'अदम'
तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया
मैं यूँ तलाश-ए-यार में दीवाना हो गया
मैं उम्र भर जवाब नहीं दे सका 'अदम'
मैं बद-नसीब हूँ मुझ को न दे ख़ुशी इतनी
लोग कहते हैं कि तुम से ही मोहब्बत है मुझे
कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ
कहते हैं उम्र-ए-रफ़्ता कभी लौटती नहीं
जी चाहता है आज 'अदम' उन को छेड़िए
इजाज़त हो तो मैं तस्दीक़ कर लूँ तेरी ज़ुल्फ़ों से
हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत है
हर दिल-फ़रेब चीज़ नज़र का ग़ुबार है
इक हसीं आँख के इशारे पर
दिल ख़ुश हुआ है मस्जिद-ए-वीराँ को देख कर
ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़
ऐ दोस्त मोहब्बत के सदमे तन्हा ही उठाने पड़ते हैं
आप इक ज़हमत-ए-नज़र तो करें
ज़ुल्फ़-ए-बरहम सँभाल कर चलिए
ये कैसी सरगोशी-ए-अज़ल साज़-ए-दिल के पर्दे हिला रही है
वो सूरज इतना नज़दीक आ रहा है
वो जो तेरे फ़क़ीर होते हैं
वो अहद-ए-जवानी वो ख़राबात का आलम
वो अबरू याद आते हैं वो मिज़्गाँ याद आते हैं
उन को अहद-ए-शबाब में देखा
तौबा का तकल्लुफ़ कौन करे हालात की निय्यत ठीक नहीं
तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया