Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_456a5d87f7ea028c8de9ad0fe0b27f5b, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तौबा का तकल्लुफ़ कौन करे हालात की निय्यत ठीक नहीं - अब्दुल हमीद अदम कविता - Darsaal

तौबा का तकल्लुफ़ कौन करे हालात की निय्यत ठीक नहीं

तौबा का तकल्लुफ़ कौन करे हालात की निय्यत ठीक नहीं

रहमत का इरादा बिगड़ा है बरसात की निय्यत ठीक नहीं

ऐ शम्अ बचाना दामन को इस्मत से मोहब्बत अर्ज़ां है

आलूदा-नज़र परवानों के जज़्बात की निय्यत ठीक नहीं

कल क़त्अ तअ'ल्लुक़ कर लेना इस वक़्त तो दुनिया मेरी है

ये रात की क़स्में झूटी हैं ये रात की निय्यत ठीक नहीं

ऐसा नज़र आता है जैसे ये शय मुझे पागल कर देगी

थोड़ी सी तवज्जोह बर-हक़ है बोहतात की निय्यत ठीक नहीं

रफ़्तार-ए-ज़माना का लहजा सफ़्फ़ाक दिखाई देता है

बर-वक़्त कोई तदबीर करो आफ़ात की निय्यत ठीक नहीं

मय-ख़ाने की रस्म-ओ-राह में भी हो जाए न शामिल खोट कहें

ख़ुद्दाम फ़रेब-आमादा हैं ख़िदमात की निय्यत ठीक नहीं

थोड़ा सा कड़ा गर दिल को करूँ आदात बदल तो सकती हैं

पर अस्ल मुसीबत तो ये है आदात की निय्यत ठीक नहीं

डरता हूँ 'अदम' फिर आज कहीं शो'ला न उठे बिजली न गिरे

बरबत की तबीअ'त उलझी है नग़्मात की निय्यत ठीक नहीं

(3017) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tauba Ka Takalluf Kaun Kare Haalat Ki Niyyat Thik Nahin In Hindi By Famous Poet Abdul Hamid Adam. Tauba Ka Takalluf Kaun Kare Haalat Ki Niyyat Thik Nahin is written by Abdul Hamid Adam. Complete Poem Tauba Ka Takalluf Kaun Kare Haalat Ki Niyyat Thik Nahin in Hindi by Abdul Hamid Adam. Download free Tauba Ka Takalluf Kaun Kare Haalat Ki Niyyat Thik Nahin Poem for Youth in PDF. Tauba Ka Takalluf Kaun Kare Haalat Ki Niyyat Thik Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Tauba Ka Takalluf Kaun Kare Haalat Ki Niyyat Thik Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.