रक़्स करता हूँ जाम पीता हूँ
रक़्स करता हूँ जाम पीता हूँ
आम मिलती है आम पीता हूँ
झूट मैं ने कभी नहीं बोला
ज़ाहिदान-ए-किराम पीता हूँ
रुख़ है पुर-नूर तो तअ'ज्जुब क्या
बादा-ए-लाला-फ़ाम पीता हूँ
इतनी तेज़ी भी क्या पिलाने में
आबगीने को थाम पीता हूँ
काम भी इक नमाज़ है मेरी
ख़त्म करते ही काम पीता हूँ
तेरे हाथों से किस को मिलती है?
मेरे माह-ए-तमाम पीता हूँ
ज़िंदगी का सफ़र ही ऐसा है
दम-ब-दम गाम गाम पीता हूँ
मुझ को मय से बड़ी मोहब्बत है
मैं ब-सद-एहतिराम पीता हूँ
मय मिरे होंट चूम लेती है
ले के जब तेरा नाम पीता हूँ
शैख़ ओ मुफ़्ती 'अदम' जब आ जाएँ
बन के उन का इमाम पीता हूँ
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