Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_bd7969b22f16e28c87a18a16b768721d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है - अब्दुल हमीद अदम कविता - Darsaal

मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है

मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है

ऐ होश वर्ना मुझ को तिरा एहतिराम है

फ़ुर्सत का वक़्त ढूँढ के मिलना कभी अजल

तुझ को भी काम है अभी मुझ को भी काम है

आती बहुत क़रीब से ख़ुश्बू है यार की

जारी इधर उधर ही कहीं दौर-ए-जाम है

कुछ ज़हर को तरसते हैं कुछ मय में ग़र्क़ हैं

साक़ी ये तेरी बज़्म का क्या इंतिज़ाम है

मय और हराम? हज़रत-ए-ज़ाहिद ख़ुदा का ख़ौफ़

वो तो कहा गया था कि मस्ती हराम है

ऐ ज़ुल्फ़-ए-अम्बरीं ज़रा लहरा के फैलना

इक रात इस चमन में मिरा भी क़याम है

ऐ ज़िंदगी तू आप ही चुपके से देख ले

जाम-ए-अदम पे लिक्खा हुआ किस का नाम है

(1617) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mushkil Ye Aa PaDi Hai Ki Gardish Mein Jam Hai In Hindi By Famous Poet Abdul Hamid Adam. Mushkil Ye Aa PaDi Hai Ki Gardish Mein Jam Hai is written by Abdul Hamid Adam. Complete Poem Mushkil Ye Aa PaDi Hai Ki Gardish Mein Jam Hai in Hindi by Abdul Hamid Adam. Download free Mushkil Ye Aa PaDi Hai Ki Gardish Mein Jam Hai Poem for Youth in PDF. Mushkil Ye Aa PaDi Hai Ki Gardish Mein Jam Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Mushkil Ye Aa PaDi Hai Ki Gardish Mein Jam Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.