अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
नाम | अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Aziz Khalid |
ज़िंदा है अगर यार तो सोहबत बाक़ी
ता-उम्र रहे हम गो सरगर्म-ए-अमल
रहमान-ओ-रहीम है वो रब्ब-ए-इबाद
क्या अर्ज़-ओ-समा में नज़र आता है ख़लल
कर लुत्फ़-ओ-मुदारा से दिल-ए-ख़ल्क़ को राम
जब दस्त-ए-ख़िज़ाँ से बिखरे शीराज़ा-ए-गुल
जब भी करे यलग़ार अफ़्सुर्दा-दिली
गो हम भी कुछ ऐसे उन से ख़ुरसंद नहीं
दिल है मिरा रमना-ए-ग़ज़ालान-ए-ख़याल
ऐ अहल-ए-फ़रासत बढ़ो बे-ख़ौफ़-ओ-हिरास
अदयान-ओ-मज़ाहिब ओ मिलल की जंगें
हर बात है 'ख़ालिद' की ज़माने से निराली
ज़मीं-नज़ाद हैं लेकिन ज़माँ में रहते हैं
ताकीद करो ज़मज़मा-संजान-ए-चमन को
क़ुर्ब नस नस में आग भरता है
क़ज़ा से क़र्ज़ किस मुश्किल से ली उम्र-ए-बक़ा हम ने
फूली है शफ़क़ गो कि अभी शाम नहीं है
नख़चीर हूँ मैं कश्मकश-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र का
मैं बात कौन से पैरा-ए-बयाँ में करूँ
हों क्यूँ न मुन्कशिफ़ असरार पस्त-ओ-बाला के
भूलों उन्हें कैसे कैसे कैसे