इबलाग़
ग़म काँटे की नोक से फूटा
लफ़्ज़ बबूल की शाख़ से उतरे
हैराँ हूँ मैं
लफ़्ज़ लिखूँ या
शाख़ से कोई ख़ार चुनूँ और
काग़ज़ के सीने में चुभो दूँ
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ग़म काँटे की नोक से फूटा
लफ़्ज़ बबूल की शाख़ से उतरे
हैराँ हूँ मैं
लफ़्ज़ लिखूँ या
शाख़ से कोई ख़ार चुनूँ और
काग़ज़ के सीने में चुभो दूँ
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