आरज़ू
मेरी एक ख़्वाहिश है
कोई एक नुक़्ता हो
जो वजूद की सारी
सरहदों से बाहर हो
जिस पे जा के मैं अपना
एक जाएज़ा ले लूँ
अपने-आप से हट कर
अपने-आप को देखूँ
मेरी एक ख़्वाहिश है!
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मेरी एक ख़्वाहिश है
कोई एक नुक़्ता हो
जो वजूद की सारी
सरहदों से बाहर हो
जिस पे जा के मैं अपना
एक जाएज़ा ले लूँ
अपने-आप से हट कर
अपने-आप को देखूँ
मेरी एक ख़्वाहिश है!
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