Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_07f6e902434267a261b0ffd722b0b5ab, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दूर से शहर-ए-फ़िक्र सुहाना लगता है - अब्दुल अहद साज़ कविता - Darsaal

दूर से शहर-ए-फ़िक्र सुहाना लगता है

दूर से शहर-ए-फ़िक्र सुहाना लगता है

दाख़िल होते ही हर्जाना लगता है

साँस की हर आमद लौटानी पड़ती है

जीना भी महसूल चुकाना लगता है

रोज़ पलट आता है लहू में डूबा तीर

रोज़ फ़लक पर एक निशाना लगता है

बीच नगर दिन चढ़ते वहशत बढ़ती है

शाम तलक हर-सू वीराना लगता है

उम्र ज़माना शहर समुंदर घर आकाश

ज़ेहन को एक झटका रोज़ाना लगता है

बे-हासिल चलते रहना भी सहल नहीं

क़दम क़दम पर एक बहाना लगता है

क्या उस्लूब चुनें किस ढब इज़हार करें

टीस नई है दर्द पुराना लगता है

होंट के ख़म से दिल के पेच मिलाना 'साज़'

कहते कहते बात ज़माना लगता है

(1429) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dur Se Shahr-e-fikr Suhana Lagta Hai In Hindi By Famous Poet Abdul Ahad Saaz. Dur Se Shahr-e-fikr Suhana Lagta Hai is written by Abdul Ahad Saaz. Complete Poem Dur Se Shahr-e-fikr Suhana Lagta Hai in Hindi by Abdul Ahad Saaz. Download free Dur Se Shahr-e-fikr Suhana Lagta Hai Poem for Youth in PDF. Dur Se Shahr-e-fikr Suhana Lagta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Dur Se Shahr-e-fikr Suhana Lagta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.