अब्दुल अहद साज़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अब्दुल अहद साज़
नाम | अब्दुल अहद साज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Abdul Ahad Saaz |
जन्म की तारीख | 1950 |
जन्म स्थान | Mumbai |
ज़माने सब्ज़ ओ सुर्ख़ ओ ज़र्द गुज़रे
यादों के नक़्श घुल गए तेज़ाब-ए-वक़्त में
वो तो ऐसा भी है वैसा भी है कैसा है मगर?
शोलों से बे-कार डराते हो हम को
शिकस्त-ए-व'अदा की महफ़िल अजीब थी तेरी
शेर अच्छे भी कहो सच भी कहो कम भी कहो
शायरी तलब अपनी शायरी अता उस की
'साज़' जब खुला हम पर शेर कोई 'ग़ालिब' का
रात है लोग घर में बैठे हैं
प्यास बुझ जाए ज़मीं सब्ज़ हो मंज़र धुल जाए
पस-मंज़र में 'फ़ीड' हुए जाते हैं इंसानी किरदार
नींद मिट्टी की महक सब्ज़े की ठंडक
नेक गुज़रे मिरी शब सिद्क़-ए-बदन से तेरे
नज़र की मौत इक ताज़ा अलमिया
मुशाबहत के ये धोके मुमासलत के फ़रेब
मुफ़्लिसी भूक को शहवत से मिला देती है
मिरी रफ़ीक़-ए-नफ़्स मौत तेरी उम्र दराज़
मिरे मह ओ साल की कहानी की दूसरी क़िस्त इस तरह है
मैं एक साअत-ए-बे-ख़ुद में छू गया था जिसे
मैं बढ़ते बढ़ते किसी रोज़ तुझ को छू लेता
ला से ला का सफ़र था तो फिर किस लिए
ख़िरद की रह जो चला मैं तो दिल ने मुझ से कहा
ख़बर के मोड़ पे संग-ए-निशाँ थी बे-ख़बरी
जीतने मारका-ए-दिल वो लगातार गया
जिन को ख़ुद जा के छोड़ आए क़ब्रों में हम
जैसे कोई दायरा तकमील पर है
घर वाले मुझे घर पर देख के ख़ुश हैं और वो क्या जानें
दोस्त अहबाब से लेने न सहारे जाना
दाद-ओ-तहसीन की बोली नहीं तफ़्हीम का नक़्द
बुरा हो आईने तिरा मैं कौन हूँ न खुल सका