Sad Poetry of Abbas Tabish (page 2)
नाम | अब्बास ताबिश |
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अंग्रेज़ी नाम | Abbas Tabish |
जन्म की तारीख | 1961 |
जन्म स्थान | Lahore |
तेरे लिए सब छोड़ के तेरा न रहा मैं
शिकस्ता-ख़्वाब-ओ-शिकस्ता-पा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना
शे'र लिखने का फ़ाएदा क्या है
शाख़ पर फूल फ़लक पर कोई तारा भी नहीं
सदा-ए-ज़ात के ऊँचे हिसार में गुम है
रम्ज़-गर भी गया रम्ज़-दाँ भी गया
पस-ए-ग़ुबार मदद माँगते हैं पानी से
पस-ए-ग़ुबार भी उड़ता ग़ुबार अपना था
परिंदे पूछते हैं तुम ने क्या क़ुसूर किया
पाँव पड़ता हुआ रस्ता नहीं देखा जाता
मेरी तन्हाई बढ़ाते हैं चले जाते हैं
मिरे बदन में लहू का कटाव ऐसा था
मैं अपने इश्क़ को ख़ुश-एहतिमाम करता हुआ
कुंज-ए-ग़ज़ल न क़ैस का वीराना चाहिए
खा के सूखी रोटियाँ पानी के साथ
कस कर बाँधी गई रगों में दिल की गिरह तो ढीली है
झिलमिल से क्या रब्त निकालें कश्ती की तक़दीरों का
जहान-ए-मर्ग-ए-सदा में इक और सिलसिला ख़त्म हो गया है
इतना आसाँ नहीं मसनद पे बिठाया गया मैं
इश्क़ की जोत जगाने में बड़ी देर लगी
हम ने चुप रह के जो एक साथ बिताया हुआ है
हर-चंद तिरी याद जुनूँ-ख़ेज़ बहुत है
फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता
एक मुश्किल सी बहर-तौर बनी होती है
डूब कर भी न पड़ा फ़र्क़ गिराँ-जानी में
दी है वहशत तो ये वहशत ही मुसलसल हो जाए
दश्त-ए-हैरत में सबील-ए-तिश्नगी बन जाइए
दश्त में प्यास बुझाते हुए मर जाते हैं
दर-ए-उफ़ुक़ पे रक़म रौशनी का बाब करें
चश्म-ए-नम-दीदा सही ख़ित्ता-ए-शादाब मिरा