मकीं जब नींद के साए में सुस्ताने लगें 'ताबिश'
मकीं जब नींद के साए में सुस्ताने लगें 'ताबिश'
सफ़र करते हैं बस्ती के मकाँ आहिस्ता आहिस्ता
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सफ़र करते हैं बस्ती के मकाँ आहिस्ता आहिस्ता
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