इक मोहब्बत ही पे मौक़ूफ़ नहीं है 'ताबिश'
इक मोहब्बत ही पे मौक़ूफ़ नहीं है 'ताबिश'
कुछ बड़े फ़ैसले हो जाते हैं नादानी में
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कुछ बड़े फ़ैसले हो जाते हैं नादानी में
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