Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_0d4c560327a919ed5a8e9793129b9952, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
उस का ख़याल ख़्वाब के दर से निकल गया - अब्बास ताबिश कविता - Darsaal

उस का ख़याल ख़्वाब के दर से निकल गया

उस का ख़याल ख़्वाब के दर से निकल गया

फिर मैं भी अपने दीदा-ए-तर से निकल गया

पलकें भी बह गईं ख़स-ओ-ख़ाशाक की तरह

मैं अपने साहिलों के असर से निकल गया

तन्हाई से थी मेरी मुलाक़ात आख़िरी

रोया और इस के बा'द मैं घर से निकल गया

जब शम्-ए-इंतिज़ार उठा ली मुंडेर से

दस्त-ए-हवा भी हल्क़ा-ए-दर से निकल गया

रस्ते में आँख थी सग-ए-मामूर की तरह

दिल में जो चोर था वो किधर से निकल गया

अब ले ले मुझ को अपनी हथेली की ओट में

मेरा सितारा बुर्ज-ए-सफ़र से निकल गया

मेरे ही साथ घर में नज़र-बंद था तो फिर

तेरा ख़याल कौन से दर से निकल गया

(1684) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Us Ka KHayal KHwab Ke Dar Se Nikal Gaya In Hindi By Famous Poet Abbas Tabish. Us Ka KHayal KHwab Ke Dar Se Nikal Gaya is written by Abbas Tabish. Complete Poem Us Ka KHayal KHwab Ke Dar Se Nikal Gaya in Hindi by Abbas Tabish. Download free Us Ka KHayal KHwab Ke Dar Se Nikal Gaya Poem for Youth in PDF. Us Ka KHayal KHwab Ke Dar Se Nikal Gaya is a Poem on Inspiration for young students. Share Us Ka KHayal KHwab Ke Dar Se Nikal Gaya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.