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शे'र लिखने का फ़ाएदा क्या है - अब्बास ताबिश कविता - Darsaal

शे'र लिखने का फ़ाएदा क्या है

शे'र लिखने का फ़ाएदा क्या है

उस से कहने को अब रहा क्या है

पहले से तय-शुदा मोहब्बत में

तू बता तेरा मशवरा क्या है

सुर्ख़ क्यूँ हो रहे हैं तेरे कान

मैं ने तुझ से अभी कहा क्या है

आँखें मल मल के देखता हूँ उसे

दोपहर में ये चाँद सा क्या है

मेरा हम-अस्र सुब्ह का तारा

मेरे बारे में जानता क्या है

सोचते होंट बोलती आँखें

हैरती का मुकालिमा क्या है

शोर सा उठ रहा है चार-तरफ़

कुछ गिरा है मगर गिरा क्या है

मैं यहाँ से पलटना चाहता हूँ

ऐ ख़ुदा तेरा मशवरा क्या है

जिस्म के उस तरफ़ है गुल आबाद

फाँद दीवार देखता क्या है

मेरी ख़ुद से मुफ़ाहमत न हुई

तू बता तेरा मसअला क्या है

इस लिए बोलने पे हूँ मजबूर

आप सोचेंगे सोचता क्या है

ये बहुत देर में हुआ मा'लूम

इश्क़ क्या है मुग़ालता क्या है

मैं तो आदी हूँ ख़ाक छानने का

तुम बताओ कि ढूँढना क्या है

इश्क़ कर के भी खुल नहीं पाया

तेरा मेरा मोआ'मला क्या है

मैं बना था खनकती मिट्टी से

मेरे अंदर सुकूत सा क्या है

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