Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_d1db99ec61812802a0895fb05c945225, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मिरे बदन में लहू का कटाव ऐसा था - अब्बास ताबिश कविता - Darsaal

मिरे बदन में लहू का कटाव ऐसा था

मिरे बदन में लहू का कटाव ऐसा था

कि मेरा हर-बुन-ए-मू एक घाव ऐसा था

बिछड़ते वक़्त अजब उलझनों में डाल गया

वो एक शख़्स कि सीधे सुभाव ऐसा था

चली जो बात कोई रात के तआ'क़ुब में

तो बात बात से निकली बहाव ऐसा था

मैं पूरा पूरा रवाना था अबजदों की तरफ़

हिसाब-ए-उम्र तिरा चल-चलाव ऐसा था

गुल-ए-नशात की ख़ुश्बू भी बार थी मुझ को

मिरे मिज़ाज में ग़म का रचाव ऐसा था

कनार-ए-लब में न रहती थी मौज-ए-गोयाई

तबीअतों में सुख़न का बहाव ऐसा था

ठहरता क्या मिरी ख़ाकिस्तरी निगाहों में

तिरा वजूद तो रौशन अलाव ऐसा था

निकल सकी न कोई भी फ़रार की सूरत

सिपाह-ए-ज़ीस्त का मुझ पर पड़ाव ऐसा था

न चाह कर भी उसे दिल से चाहते थे हम

किसी की लाग में 'ताबिश' लगाव ऐसा था

(1720) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mere Badan Mein Lahu Ka KaTaw Aisa Tha In Hindi By Famous Poet Abbas Tabish. Mere Badan Mein Lahu Ka KaTaw Aisa Tha is written by Abbas Tabish. Complete Poem Mere Badan Mein Lahu Ka KaTaw Aisa Tha in Hindi by Abbas Tabish. Download free Mere Badan Mein Lahu Ka KaTaw Aisa Tha Poem for Youth in PDF. Mere Badan Mein Lahu Ka KaTaw Aisa Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Mere Badan Mein Lahu Ka KaTaw Aisa Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.