Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_aee31b3f30df7db7a0dd7ed87422167c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
एक मुश्किल सी बहर-तौर बनी होती है - अब्बास ताबिश कविता - Darsaal

एक मुश्किल सी बहर-तौर बनी होती है

एक मुश्किल सी बहर-तौर बनी होती है

तुझ से बाज़ आएँ तो फिर ख़ुद से ठनी होती है

कुछ तो ले बैठती है अपनी शिकस्ता-पाई

और कुछ राह में छाँव भी घनी होती है

मेरे सीने से ज़रा कान लगा कर देखो

साँस चलती है कि ज़ंजीर-ज़नी होती है

आबला-पाई भी होती है मुक़द्दर अपना

सर पे अफ़्लाक की चादर भी तनी होती है

दूध की नहर निकाली है ग़मों से हम ने

हम बता सकते हैं क्या कोह-कनी होती है

आँख तो खुलती है किरनों की तलब में लेकिन

ज़ेब-ए-मिज़्गाँ किसी नेज़े की अनी होती है

दश्त-ए-ग़ुर्बत ही पे मौक़ूफ़ नहीं है 'ताबिश'

अब तो घर में भी ग़रीब-उल-वतनी होती है

(1469) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek Mushkil Si Bahar-taur Bani Hoti Hai In Hindi By Famous Poet Abbas Tabish. Ek Mushkil Si Bahar-taur Bani Hoti Hai is written by Abbas Tabish. Complete Poem Ek Mushkil Si Bahar-taur Bani Hoti Hai in Hindi by Abbas Tabish. Download free Ek Mushkil Si Bahar-taur Bani Hoti Hai Poem for Youth in PDF. Ek Mushkil Si Bahar-taur Bani Hoti Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek Mushkil Si Bahar-taur Bani Hoti Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.