Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_0e4a7c5f77d8b2d91b627b1f7e82bf85, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अब परिंदों की यहाँ नक़्ल-ए-मकानी कम है - अब्बास ताबिश कविता - Darsaal

अब परिंदों की यहाँ नक़्ल-ए-मकानी कम है

अब परिंदों की यहाँ नक़्ल-ए-मकानी कम है

हम हैं जिस झील पे उस झील में पानी कम है

ये जो मैं भागता हूँ वक़्त से आगे आगे

मेरी वहशत के मुताबिक़ ये रवानी कम है

दे मुझे अंजुम-ओ-महताब से आगे की ख़बर

मुझ से फ़ानी के लिए आलम-ए-फ़ानी कम है

ग़म की तल्ख़ी मुझे नश्शा नहीं होने देती

ये ग़लत है कि तिरी चीज़ पुरानी कम है

ग़ैब के बाग़ का वो भेद खुला है मुझ पर

जिस का इबलाग़ परिंदों की ज़बानी कम है

हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकार

इक मोहब्बत के लिए एक जवानी कम है

इतना मुश्किल तो न था गुम-शुदगाँ का मिलना

हम ने ऐ दश्त तिरी ख़ाक ही छानी कम है

इस समय मौत की ख़ुश्बू के मुक़ाबिल 'ताबिश'

किसी आँगन में खिली रात-की-रानी कम है

(2579) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ab Parindon Ki Yahan Naql-e-makani Kam Hai In Hindi By Famous Poet Abbas Tabish. Ab Parindon Ki Yahan Naql-e-makani Kam Hai is written by Abbas Tabish. Complete Poem Ab Parindon Ki Yahan Naql-e-makani Kam Hai in Hindi by Abbas Tabish. Download free Ab Parindon Ki Yahan Naql-e-makani Kam Hai Poem for Youth in PDF. Ab Parindon Ki Yahan Naql-e-makani Kam Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Ab Parindon Ki Yahan Naql-e-makani Kam Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.