Khawab Poetry of Abbas Tabish
नाम | अब्बास ताबिश |
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अंग्रेज़ी नाम | Abbas Tabish |
जन्म की तारीख | 1961 |
जन्म स्थान | Lahore |
वक़्त लफ़्ज़ों से बनाई हुई चादर जैसा
तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता
न ख़्वाब ही से जगाया न इंतिज़ार किया
उसे मैं ने नहीं देखा
ये वाहिमे भी अजब बाम-ओ-दर बनाते हैं
ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं
ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं
ये अजब साअत-ए-रुख़्सत है कि डर लगता है
वो चाँद हो कि चाँद सा चेहरा कोई तो हो
उस का ख़याल ख़्वाब के दर से निकल गया
तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता
शिकस्ता-ख़्वाब-ओ-शिकस्ता-पा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना
परिंदे पूछते हैं तुम ने क्या क़ुसूर किया
पानी आँख में भर कर लाया जा सकता है
नींदों का एक आलम-ए-असबाब और है
मेरी तन्हाई बढ़ाते हैं चले जाते हैं
जहान-ए-मर्ग-ए-सदा में इक और सिलसिला ख़त्म हो गया है
हवा-ए-तेज़ तिरा एक काम आख़िरी है
दर-ए-उफ़ुक़ पे रक़म रौशनी का बाब करें
चश्म-ए-नम-दीदा सही ख़ित्ता-ए-शादाब मिरा
चाँद को तालाब मुझ को ख़्वाब वापस कर दिया
चाँद का पत्थर बाँध के तन से उतरी मंज़र-ए-ख़्वाब में चुप