अब्बास ताबिश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अब्बास ताबिश (page 3)
नाम | अब्बास ताबिश |
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अंग्रेज़ी नाम | Abbas Tabish |
जन्म की तारीख | 1961 |
जन्म स्थान | Lahore |
यूँ तो शीराज़ा-ए-जाँ कर के बहम उठते हैं
ये वाहिमे भी अजब बाम-ओ-दर बनाते हैं
ये तो नहीं फ़रहाद से यारी नहीं रखते
ये किस के ख़ौफ़ का गलियों में ज़हर फैल गया
ये हम को कौन सी दुनिया की धुन आवारा रखती है
ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं
ये हम जो हिज्र में उस का ख़याल बाँधते हैं
ये देख मिरे नक़्श-ए-कफ़-ए-पा मिरे आगे
ये अजब साअत-ए-रुख़्सत है कि डर लगता है
याद कर कर के उसे वक़्त गुज़ारा जाए
वो कौन है जो पस-ए-चश्म-ए-तर नहीं आता
वो चाँद हो कि चाँद सा चेहरा कोई तो हो
वो आने वाला नहीं फिर भी आना चाहता है
उस का ख़याल ख़्वाब के दर से निकल गया
टूट जाने में खिलौनों की तरह होता है
तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता
तेरी रूह में सन्नाटा है और मिरी आवाज़ में चुप
तेरी आँखों से अपनी तरफ़ देखना भी अकारत गया
तेरे लिए सब छोड़ के तेरा न रहा मैं
सुब्ह की पहली किरन पहली नज़र से पहले
शिकस्ता-ख़्वाब-ओ-शिकस्ता-पा हूँ मुझे दुआओं में याद रखना
शे'र लिखने का फ़ाएदा क्या है
शायद किसी बला का था साया दरख़्त पर
शाख़ पर फूल फ़लक पर कोई तारा भी नहीं
शजर समझ के मिरा एहतिराम करते हैं
साँस के शोर को झंकार न समझा जाए
साँस के हम-राह शो'ले की लपक आने को है
सदा-ए-ज़ात के ऊँचे हिसार में गुम है
रम्ज़-गर भी गया रम्ज़-दाँ भी गया
रातें गुज़ारने को तिरी रहगुज़र के साथ