Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e32756c32bc4f033f77051d2d1701983, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सितारे चाहते हैं माहताब माँगते हैं - अब्बास रिज़वी कविता - Darsaal

सितारे चाहते हैं माहताब माँगते हैं

सितारे चाहते हैं माहताब माँगते हैं

मिरे दरीचे नई आब-ओ-ताब माँगते हैं

वो ख़ुश-ख़िराम जब इस राह से गुज़रता है

तो संग-ओ-ख़िश्त भी इज़्न-ए-ख़िताब माँगते हैं

कोई हवा से ये कह दे ज़रा ठहर जाए

कि रक़्स करने की मोहलत हुबाब माँगते हैं

अजीब तुर्फ़ा-तमाशा है मेरे अहद के लोग

सवाल करने से पहले जवाब माँगते हैं

तलब करें तो ये आँखें भी इन को दे दूँ मैं

मगर ये लोग इन आँखों के ख़्वाब माँगते हैं

ये एहतिसाब अजब है कि मोहतसिब ही नहीं

रिकाब थामने वाले हिसाब माँगते हैं

सुतून-ओ-बाम की दीवार-ओ-दर की शर्त नहीं

बस एक घर तिरे ख़ाना-ख़राब माँगते हैं

(2102) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sitare Chahte Hain Mahtab Mangte Hain In Hindi By Famous Poet Abbas Rizvi. Sitare Chahte Hain Mahtab Mangte Hain is written by Abbas Rizvi. Complete Poem Sitare Chahte Hain Mahtab Mangte Hain in Hindi by Abbas Rizvi. Download free Sitare Chahte Hain Mahtab Mangte Hain Poem for Youth in PDF. Sitare Chahte Hain Mahtab Mangte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Sitare Chahte Hain Mahtab Mangte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.