Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_31571bda05bc25af9d4e421daa60a4c4, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जिस को हम समझते थे उम्र भर का रिश्ता है - अब्बास रिज़वी कविता - Darsaal

जिस को हम समझते थे उम्र भर का रिश्ता है

जिस को हम समझते थे उम्र भर का रिश्ता है

अब वो राब्ता जैसे रहगुज़र का रिश्ता है

सुब्ह तक ये मौजें भी थक के सो ही जाएँगी

चाँद का समुंदर है रात भर का रिश्ता है

ये जो इतने सारे दिल साथ ही धड़कते हैं

कुछ क़लम का नाता है कुछ हुनर का रिश्ता है

तेज़ हैं तो क्या ग़म है तुंद हैं तो शिकवा क्या

इन हवाओं से अपना बाल-ओ-पर का रिश्ता है

इस हसीं तसव्वुर का मेरी सुर्ख़ आँखों से

आब ओ गिल का नाता है बाम-ओ-दर का रिश्ता है

एक ना-तवाँ रिश्ता उस से अब भी बाक़ी है

जिस तरह दुआओं का और असर का रिश्ता है

(2091) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jis Ko Hum Samajhte The Umr Bhar Ka Rishta Hai In Hindi By Famous Poet Abbas Rizvi. Jis Ko Hum Samajhte The Umr Bhar Ka Rishta Hai is written by Abbas Rizvi. Complete Poem Jis Ko Hum Samajhte The Umr Bhar Ka Rishta Hai in Hindi by Abbas Rizvi. Download free Jis Ko Hum Samajhte The Umr Bhar Ka Rishta Hai Poem for Youth in PDF. Jis Ko Hum Samajhte The Umr Bhar Ka Rishta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Jis Ko Hum Samajhte The Umr Bhar Ka Rishta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.