Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f82269b75cd15143e1b42c83a871178d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हम तिरे हुस्न-ए-जहाँ-ताब से डर जाते हैं - अब्बास रिज़वी कविता - Darsaal

हम तिरे हुस्न-ए-जहाँ-ताब से डर जाते हैं

हम तिरे हुस्न-ए-जहाँ-ताब से डर जाते हैं

ऐसे मुफ़्लिस हैं कि अस्बाब से डर जाते हैं

ख़ौफ़ ऐसा है कि दुनिया के सताए हुए लोग

कभी मिम्बर कभी मेहराब से डर जाते हैं

रात के पिछले पहर नींद में चलते हुए लोग

ख़ून होते हुए महताब से डर जाते हैं

शाद रहते हैं इसी जामा-ए-उर्यानी में

हाँ मगर अतलस-ओ-कमख़्वाब से डर जाते हैं

कभी करते हैं मुबारज़-ए-तलबी दुनिया से

और कभी ख़्वाहिश-ए-बेताब से डर जाते हैं

जी तो कहता है कि चलिए उसी कूचे की तरफ़

हम तिरी बज़्म के आदाब से डर जाते हैं

हम तो वो हैं कि जिन्हें रास नहीं कोई नगर

कभी साहिल कभी गिर्दाब से डर जाते हैं

(1461) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hum Tere Husn-e-jahan-tab Se Dar Jate Hain In Hindi By Famous Poet Abbas Rizvi. Hum Tere Husn-e-jahan-tab Se Dar Jate Hain is written by Abbas Rizvi. Complete Poem Hum Tere Husn-e-jahan-tab Se Dar Jate Hain in Hindi by Abbas Rizvi. Download free Hum Tere Husn-e-jahan-tab Se Dar Jate Hain Poem for Youth in PDF. Hum Tere Husn-e-jahan-tab Se Dar Jate Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Hum Tere Husn-e-jahan-tab Se Dar Jate Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.