है जिस्म सख़्त मगर दिल बहुत ही नाज़ुक है
है जिस्म सख़्त मगर दिल बहुत ही नाज़ुक है
कि जैसे आईना महफ़ूज़ इक चट्टान में है
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कि जैसे आईना महफ़ूज़ इक चट्टान में है
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