Ghazals of Abbas Dana
नाम | अब्बास दाना |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Abbas Dana |
ज़र्फ़ से बढ़ के हो इतना नहीं माँगा जाता
ये बात सच है कि तेरा मकान ऊँचा है
वही दर्द है वही बेबसी तिरे गाँव में मिरे शहर में
वफ़ादारी पे दे दी जान ग़द्दारी नहीं आई
उस की वफ़ा न मेरी वफ़ा का सवाल था
नाम ख़ुश्बू था सरापा भी ग़ज़ल जैसा था
न हो जिस पे भरोसा उस से हम यारी नहीं रखते
मिरा ख़ुलूस अभी सख़्त इम्तिहान में है
मौत ने मुस्कुरा के पूछा है
कोई सुबूत-ए-जुर्म जगह पर नहीं मिला
जो हैं मज़लूम उन को तो तड़पता छोड़ देते हैं
गर्दिश-ए-दौराँ से इक लम्हा चुराने लिए
दिल लगाया है तो नफ़रत भी नहीं कर सकते
बेवफ़ाई उस ने की मेरी वफ़ा अपनी जगह
अक़्ल-ओ-दानिश को ज़माने से छुपा रक्खा है
अपने ही ख़ून से इस तरह अदावत मत कर