आदमी को चाहिए तौफ़ीक़ चलने की फ़क़त
आदमी को चाहिए तौफ़ीक़ चलने की फ़क़त
कुछ नहीं तो गुज़रे वक़्तों का धुआँ ले कर चले
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कुछ नहीं तो गुज़रे वक़्तों का धुआँ ले कर चले
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