आज़िम कोहली कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आज़िम कोहली
नाम | आज़िम कोहली |
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अंग्रेज़ी नाम | Aazim Kohli |
जन्म स्थान | Delhi |
ज़िंदगी सुंदर ग़ज़ल है दोस्तो
ये क्या हुआ कि अब तुझी से बद-गुमाँ मैं हो गया
वो जाते जाते मुझे अपने ग़म भी सौंप गया
सब्र की तकरार थी जोश ओ जुनून-ए-इश्क़ से
रंग आ जाता था उन की दीद से रुख़ पर मिरे
नीला अम्बर चाँद सितारे बच्चों की जागीरें हैं
मुझे अय्यारियाँ सब आ गई हैं
मोहब्बत करने वाले दर्द में तन्हा नहीं होते
मिरे हर ज़ख़्म पर इक दास्ताँ थी उस के ज़ुल्मों की
मैं जी भर के रोया तो आराम आया
कौन जाने किस घड़ी याँ क्या से क्या हो कर रहे
कौन बाँधेगा मिरी बिखरी हुई उम्मीद को
जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ
हम ने मिल-जुल के गुज़ारे थे जो दिन अच्छे थे
हम लकीरें कुरेद कर देखें
दुख पे मेरे रो रहा था जो बहुत
देखना कैसे पिघलते जाओगे
देखा न तुझे ऐ रब हम ने हाँ दुनिया तेरी देखी है
बात चल निकलेगी फिर इक़रार की इंकार की
'आज़िम' तेरी बर्बादी में सब ने मिल-जुल कर काम किया
आदमी को चाहिए तौफ़ीक़ चलने की फ़क़त
वफ़ा और इश्क़ के रिश्ते बड़े ख़ुश-रंग होते हैं
ज़र्फ़ है किस में कि वो सारा जहाँ ले कर चले
थी याद किस दयार की जो आ के यूँ रुला गई
सुबू उठा मिरे साक़ी कि रात जाती है
सिलसिले सब रुक गए दिल हाथ से जाता रहा
नीला अम्बर चाँद सितारे बच्चों की जागीरें हैं
मिरी यादें भला तुम किस तरह दिल से मिटाओगे
किधर का था किधर का हो गया हूँ
ख़याल-ए-यार का जल्वा यहाँ भी था वहाँ भी था