Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_325fa1f5c9a623cecb493869742663e6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ख़मोश बैठे हो क्यूँ साज़-ए-बे-सदा की तरह - अातिश बहावलपुरी कविता - Darsaal

ख़मोश बैठे हो क्यूँ साज़-ए-बे-सदा की तरह

ख़मोश बैठे हो क्यूँ साज़-ए-बे-सदा की तरह

कोई पयाम तो दो रम्ज़-आशना की तरह

कहीं तुम्हारी रविश ख़ार-ओ-गुल पे बार न हो

रियाज़-ए-दहर से गुज़रे चलो सबा की तरह

नियाज़-ओ-इज्ज़ ही मेराज-ए-आदमिय्यत हैं

बढ़ाओ दस्त-ए-सख़ावत भी इल्तिजा की तरह

जो चाहते हो बदलना मिज़ाज-ए-तूफ़ाँ को

तो नाख़ुदा पे भरोसा करो ख़ुदा की तरह

मुझे हमेशा रह-ए-ज़ीस्त के दोराहों पर

इक अजनबी है जो मिलता है आश्ना की तरह

तमाम उम्र रहा साबिक़ा यज़ीदों से

मिरे लिए तो ये दुनिया है कर्बला की तरह

उमीद उन से वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे

जफ़ा भी करते नहीं वो कभी जफ़ा की तरह

ये दहर भी तो है मय-ख़ाना-ए-अलस्त-नुमा

रहो यहाँ भी किसी रिंद-ए-पारसा की तरह

ज़बाँ पे शिकवा-ए-बे-मेहरी-ए-ख़ुदा क्यूँ है?

दुआ तो माँगिये 'आतिश' कभी दुआ की तरह

(1534) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHamosh BaiThe Ho Kyun Saz-e-be-sada Ki Tarah In Hindi By Famous Poet Aatish Bahawalpuri. KHamosh BaiThe Ho Kyun Saz-e-be-sada Ki Tarah is written by Aatish Bahawalpuri. Complete Poem KHamosh BaiThe Ho Kyun Saz-e-be-sada Ki Tarah in Hindi by Aatish Bahawalpuri. Download free KHamosh BaiThe Ho Kyun Saz-e-be-sada Ki Tarah Poem for Youth in PDF. KHamosh BaiThe Ho Kyun Saz-e-be-sada Ki Tarah is a Poem on Inspiration for young students. Share KHamosh BaiThe Ho Kyun Saz-e-be-sada Ki Tarah with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.