अातिश बहावलपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अातिश बहावलपुरी
नाम | अातिश बहावलपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Aatish Bahawalpuri |
ज़बाँ पे शिकवा-ए-बे-मेहरी-ए-ख़ुदा क्यूँ है?
ये सारी बातें हैं दर-हक़ीक़त हमारे अख़्लाक़ के मुनाफ़ी
ये मय-ख़ाना है मय-ख़ाना तक़द्दुस उस का लाज़िम है
उमीद उन से वफ़ा की तो ख़ैर क्या कीजे
तुम्हें तो अपनी जफ़ाओं की ख़ूब दाद मिली
मुख़ालिफ़ों को भी अपना बना लिया तू ने
मुझे भी इक सितमगर के करम से
मस्लहत का यही तक़ाज़ा है
ख़ूगर-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार था इतना 'आतिश'
जो चाहते हो बदलना मिज़ाज-ए-तूफ़ाँ को
गिला मुझ से था या मेरी वफ़ा से
ग़म-ओ-अलम भी हैं तुम से ख़ुशी भी तुम से है
दर-हक़ीक़त इत्तिसाल-ए-जिस्म-ओ-जाँ है ज़िंदगी
चारासाज़ों की चारा-साज़ी से
अपने चेहरे से जो ज़ुल्फ़ों को हटाया उस ने
आप की हस्ती में ही मस्तूर हो जाता हूँ मैं
ज़िंदगी गुज़री मिरी ख़ुश्क शजर की सूरत
वो मेरे क़ल्ब को छेदेगा कब गुमान में था
तुम्हें ज़ेबा नहीं हरगिज़ सिले की आरज़ू रखना
सितम को उन का करम कहें हम जफ़ा को मेहर-ओ-वफ़ा कहें हम
मुझे उन से मोहब्बत हो गई है
लाख पर्दों में गो निहाँ हम थे
ख़मोश बैठे हो क्यूँ साज़-ए-बे-सदा की तरह
कमाल-ए-हुस्न का जिस से तुम्हें ख़ज़ाना मिला
इब्तिदा बिगड़ी इंतिहा बिगड़ी
हर्फ़-ए-शिकवा न लब पे लाओ तुम
आप की हस्ती में ही मस्तूर हो जाता हूँ मैं