Love Poetry of Aatif Waheed 'Yasir'
नाम | आतिफ़ वहीद 'यासिर' |
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अंग्रेज़ी नाम | Aatif Waheed 'Yasir' |
मिरी राख में थीं कहीं कहीं मेरे एक ख़्वाब की किर्चियाँ
किस के बदन की नर्मियाँ हाथों को गुदगुदा गईं
इश्क़ जैसे कहीं छूने से भी लग जाता हो
तिरी दोस्ती का कमाल था मुझे ख़ौफ़ था न मलाल था
गुफ़्तुगू करने लगे रेत के अम्बार के साथ
आँखों को नक़्श-ए-पा तिरा दिल को ग़ुबार कर दिया