Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_6cc8c974d54121db39f299d5ea47c84e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हवा आई न ईंधन आ रहा है - आतिफ़ कमाल राना कविता - Darsaal

हवा आई न ईंधन आ रहा है

हवा आई न ईंधन आ रहा है

चराग़ों में नया-पन आ रहा है

जमाल-ए-यार तेरे झाँकने से

कुएँ से पानी रौशन आ रहा है

मैं गलियों में निकलना चाहता हूँ

मिरे रस्ते में आँगन आ रहा है

मुझे शहतूत की ख़्वाहिश बहुत थी

मगर मुझ पर तो जामन आ रहा है

मियाँ मैं अपनी जानिब आ रहा हूँ

ख़बर कर दो कि दुश्मन आ रहा है

मुझे ख़ैरात बाँटी जा रही है

मिरे हाथों में बर्तन आ रहा है

गले में हार आना चाहिए था

गले में तौक़-ए-गर्दन आ रहा है

(1405) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hawa Aai Na Indhan Aa Raha Hai In Hindi By Famous Poet Aatif Kamal Rana. Hawa Aai Na Indhan Aa Raha Hai is written by Aatif Kamal Rana. Complete Poem Hawa Aai Na Indhan Aa Raha Hai in Hindi by Aatif Kamal Rana. Download free Hawa Aai Na Indhan Aa Raha Hai Poem for Youth in PDF. Hawa Aai Na Indhan Aa Raha Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Hawa Aai Na Indhan Aa Raha Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.