ये मंज़र देख कर बीवी ने काटा अपने शौहर को
अजब वहशत सी बरपा हो गई पर्दे पे टीवी के
हुई तारी कुछ इतनी हम पे घबराहट कि फिर हम ने
निकलवा डाले हैं सब एहतियातन दाँत बीवी के
Gulzar
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है विटामिन की कमी आशिक़ में तेरे इस क़दर
आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
मैं ने कहा गधे से मियाँ कुछ पढ़ो लिखो
ये कहते हैं सभी इस दौर में हर काम मुमकिन है
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
मर जाए मौलवी तो फ़क़त होगी फ़ातिहा
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
एक लीडर ने ये कहा मुझ से
दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
अब कहाँ है वो नश्तरों की बहार