क़ातिल तो क़त्ल कर के कभी का निकल गया
करती रहे अब उस की पुलीस उम्र भर तलाश
आया बयाँ ये जाँच के ब'अद अब पुलीस का
बक्से में जा के लेट गई अपने आप लाश
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ज़बान-ए-मादरी पूछी जो इक लड़के से कॉलेज में
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
मौत से मिलने गले देख तो आशिक़ तेरे
आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई
दिल पे अपने चोट खा कर रो दिए
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
मेरी बीवी ने बना रक्खी है फुटबॉल की टीम