पहुँचा सियाह-फ़ाम इक आला-मक़ाम पर
दिन हो रहा है झूम के क़ुर्बान शाम पर
गोरों ने शायरों को सुनाने के वास्ते
काली ग़ज़ल कही है 'ओबामा' के नाम पर
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Gulzar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Parveen Shakir
Wasi Shah
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
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हाथ में पापड़ लिए बैठा था मैं
कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई
आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
मुशायरों में हवा हूट जो मुसलसल मैं
रेट इतने बढ़े हैं जूतों के
मेरी बीवी ने बना रक्खी है फुटबॉल की टीम
हकला गया जो शादी में दूल्हा तो क्या हुआ
दास्तान-ए-इश्क़ मैं ने जब कही ससुराल में
बैल क्या चीज़ है गधा क्या है
ये कहते हैं सभी इस दौर में हर काम मुमकिन है