जब हटाई उस ने चेहरे से नक़ाब
आरज़ूओं के घरौंदे ढह गए
मैं तो चालीस का हूँ और पचपन की वो
''दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गए''
Gulzar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(915) Peoples Rate This
मर जाए मौलवी तो फ़क़त होगी फ़ातिहा
ज़बान-ए-मादरी पूछी जो इक लड़के से कॉलेज में
नाले कहीं बुलबुल के सुनाई नहीं देते
वो हाल है हर एक बशर काँप रहा है
सिलसिले ऊँचे ख़यालात से जोड़े हम ने
गधे के साथ इक लीडर का फोटो
मौत से मिलने गले देख तो आशिक़ तेरे
आशिक़ों की तो है भर-मार तिरे कूचे में
आतंक का माहौल है छाया हुआ दिल पर
दिया नींद ने ऐसा आँखों को धोका
है विटामिन की कमी आशिक़ में तेरे इस क़दर
कहानी इश्क़-ओ-मोहब्बत की ख़त्म पर आई